अविवेकः परमापदां पदम् _ (विवेक हीनता बड़ी आपत्तियों का स्थान होती है) _ (Lack of intellignce is a room of great difficulties)
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1. अस्ति उज्जयिन्याम् माधवः नाम विप्रः । एकदा तस्य भार्या स्वबालापत्यस्य रक्षार्थं तम् अवस्थाप्य स्नातुं गता। अथ ब्रह्माणः राज्ञा श्राद्धार्थं निमंत्रितः । ब्रह्माणः सहजदारिद्रयात् अचिन्तयत् - यदि सत्वरं न गच्छामि तदा अन्यः कश्चित् श्राद्धार्थं वृतः भवेत्। यतः
आदानस्य प्रदान्स्य कर्तव्यस्य च कर्मणः।
क्षिप्रमक्रियमाणस्य कालः पिबति तद्रसम् ॥
हिंदी अनुवाद
उज्जैन में माधव नाम का ब्राह्मण रहता था। एक बार उसकी पत्नी अपनी संतान की रक्षा के लिए उसको नियुक्त करके स्नान के लिए गयी। उसके बाद राजा ने ब्राह्मण को श्राद्ध के लिए आमंत्रित किया। ब्राह्मण अपनी स्वाभाविक गरीबी के कारण सोचने लगा - यदि शीघ्र नहीं जाऊँगा तो दूसरा कोई श्राद्ध के लिए आमंत्रित हो जाएगा, क्यूंकि ऐसा कहा गया है :-
लेने, देने और करने योग्य कर्म के शीघ्रता से न किये जाने पर, समय उसका महत्त्व नष्ट कर देता है।
English Translation
A Brahmin named Madhav lived in Ujjain. Once his wife appointed him to protect her child and went for a bath. After that the king invited the Brahmin to the funeral for performing the pooja . The Brahmin due to his natural poverty started thinking - If I do not leave soon, then someone else will be invited to funeral, because it has been said: -
Time is destroyed when the act of taking, giving and doing is not done quickly.
2. किन्तु बालस्य अत्र रक्षकः नास्ति । तत् किं करोमि? भवतु चिरकालपालितम् इमं पुत्रनिर्विशेषं नकुलं बालरक्षायां व्यवस्थाप्य गच्छामि। ततस्तेन नकुलेन बालसमीपम् उपसर्पन् कृष्णसर्पः दृषटः। स तं व्यापाद्य खण्ङशः कृतवान्। अत्रान्तरे ब्रह्माणोऽपि श्राद्धं गृहीत्वा गृहम् उपावृत्तः। ब्रह्माणः दृष्टवा नकुलः रक्तविलिप्तिमुखपादः तस्य चरणयोः अलुठत्। विप्रः तथाविधं तं दृष्ट्वा बालकोऽनेन खादितः इति अवधार्य कोपात् नकुलं व्यापादितवान्। अनन्तरं यावत् उपसृत्य अपत्यं पश्यति तावद् बालकः सुस्थः सर्पश्च व्यापादितः तिष्ठति। ततः तम् उपकारकं नकुलं मृतं निरीक्ष्य आत्मानं मुषितं मन्यमानः ब्राह्मणः परं विषादम् अगच्छत्। अत उच्यते:-
सहसा विदधीत न क्रिया
मविवेकः परमापदां पदम्।
वृणते हि विमृश्यकारिणं
गुणलुब्धाः स्वयमेव संपद॥
हिंदी अनुवाद
परन्तु यहाँबालक की रक्षा करने वाला नहीं है । तो क्या करूँ?अच्छा, बहुत समय से पुत्र के सामान पाले हुए इस नेवले को बालक की रक्षा के लिए नियुक्त करके जाता हूँ। वैसा करके चला गया। फिर उस नेवले ने बालक के पास जाते हुए एक काले साप को देखा। उसने उसको मारकर टुकड़े - टुकड़े कर दिए। इसके बाद ब्राह्मण भी वापस आ चूका था। ब्राह्मण को देखकर, खून से सने हुए मुख व पैरों वाला नेवला उसके चरणों में लेट गया। ब्राह्मण ने उसको वैसा देखकर 'इसने बालक को खा लिया ', ऐसा समझकर क्रोध में नेवले को मार दिया। बाद में जब पास जाकर संतान को देखता है तब बालक सही रूप में विद्यमान था और सर्प मारा हुआ पड़ा था। इसलिए कहा जाता है :-
अचानक आवेश में बिना सोचे-समझे कोई कार्य नहीं करना चाइये। विवेकशून्यता बड़ी आपत्तियों का स्थान होती है। इसके विपरीत निश्चित ही सोच - समझकर विवेकपूर्वक कार्य करने वाले के गुाणो पर लुब्ध आकृष्ट होकर सम्पत्तियाँ स्वयं ही उनका वरण कर लेती है।
English Translation
But there is no one to protect the child here. So what should I do? Well, I have been keeping this mongoose as a pet for a long time, I should keep it to protect the child. He did so and went to the funeral. Then that mongoose saw a black snake going near the child. He smashed him to pieces. Till then , the Brahmin too had returned. Seeing the Brahmin, the mongoose with blood-stained face and feet layed in his feet. The Brahmin, seeing him like that 'he ate the child', killed the mongoose in anger. Later when the he went near and saw the child, the child was all good and the snake was killed. Hence it is said: -
Do not do anything thoughtfully in a sudden. Insensitivity is a place of great objections. On the contrary, the properties themselves are chosen by being fascinated by the minds of those who work judiciously.
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